महू I ग्राम कोदरिया में सरदार पटेल नगर में चल रही भागवत कथा की पूर्णाहूति की पूर्व संध्या पर दिनांक 14 फरवरी को रात्रि में एक विराट कवि सम्मेलन संपन्न हुआ । जिसमें साहित्य मित्र मंडल कोदरिया के कवियों ने हास्य व्यंग्य एवं देशभक्ति से ओतप्रोत हिन्दी तथा मालवी कविताओं का पाठ किया । कवि सम्मेलन में आमंत्रित कवियों में सर्वश्री नरेन्द्र मांडलिक , राधेश्याम गोयल , डॉ संजय श्रीवास्तव , धीरेन्द्र जोशी , रमेश आंजना ,भगवान दास तरंग , पायल परदेसी , संजय देशवाली , दीपक जेसवानी , विनोद गुर्जर , शिव शर्मा एवं द्रोणाचार्य दुबे अपनी हास्य , करुण , वीर रस एवं देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं का पाठ किया । कार्यक्रम का सुंदर संचालन कवि धीरेन्द्र जोशी ने किया तथा सार्वजनिक भागवत कथा उत्सव समिति सरदार पटेल नगर कोदरिया की ओर से आभार प्रदर्शन भारत जोशी ने किया । कार्यक्रम में ग्राम कोदरिया की सरपंच सहित ग्राम कोदरिया के गणमान्य श्रोता शामिल हुए ।
प्रमुख कवियों की प्रमुख पंक्तियां
श्री नरेन्द्र मांडलिक - मेरी अर्थी के साथ जो आये वे सब दाग दे गये , थोड़े कंडे थोड़ी लकड़ी थोड़ी आग दे गये ।
श्री रमेश आंजना - म्हके तो मजो आवे यार बफेट में , अई वई देखीणे चार गुलाब जामुन पेट में ।
श्री राधेश्याम गोयल - सुखदेव राजगुरु भगतसिंह ने हंसकर फांसी के फंदे को चूमा था , बोले आंसू आंखों में लाना न कोई , ये बलिदान न बेकार जाऐगा ।
श्री धीरेन्द्र जोशी - भरयो जो पेट उणको वी बाय बाय करी गिया , हम होटलां का बिल चुकाने में री गिया ।
श्रीमती पायल परदेसी - फिर से हरे होने लगे दिल पे पड़े घाव , लगता है फिर से आ गये मेरे देश में चुनाव ।
श्री भगवान दास तरंग - प्रात उठ पर निंदा करे पर घर जो जाऐ , पर नारी से जो प्रेम करे वो वैकुंठ को जाऐ ।
श्री संजय श्रीवास्तव - अपनी आंखों में मुझे बसा लिजिये ।
श्री संजय देशवाली - एक सैनिक की मार्मिक व्यथा ।
श्री दीपक जेसवानी - कैसे दूर हो जाऊं कैसे भूल पाऊं , मेरी निंदा करने वालोें ने मेरा आविष्कार कर दिया ।
श्री द्रोणाचार्य दुबे - म्हने दुकानदार से बोल्यो अच्छो पिंजरो लोगा , ऊं बोल्यो उंदरो है , जमई नी है , कई सुन्ना को पिंजरो लोगा ।
addComments
एक टिप्पणी भेजें