*वर्ष 2020-21 राजनीतिक सोच वाली आबकारी नीति*
*ठेके नवीनीकरण मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि*
*इंदौर,भोपाल,ग्वालियर और जबलपुर में 2 समूहों के पास ही रहेगे शराब के ठेके*
*12 नगर निगम वाले जिलो में एकल समूह ही करेगा शराब ठेको का संचालन*
*सरकार की छवि बचाने के लिए उपदुकाने खोलने का प्रस्ताव फेल*
*टीपी को ऑनलाइन करने पर पूर्व की भांति कोई विचार नही*
भोपाल। *(विचार एक प्रयास)* वर्ष 2020-21 हेतु प्रस्तावित आबकारी व्यवस्था में राजस्व बढ़ाने एवं सुरक्षित करने हेतु प्रदेश के 52 जिलों में स्थित 2544 देशी मदिरा दुकानों एवं 1061 विदेशी मदिरा दुकानों का निष्पादन पूर्व वषे के वार्षिक मूल्य में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर ई-टेडर सह-नीलामी/ नवीनीकरण से किया जायेगा।
*1)* प्रदेश के 4 बड़े महानगर वाले जिले यथा इंदौर, भोपाल, ग्वालियर एवं जबलपुर में दुकानों के दो-दो समूह बनाये जायेंगे, जिसमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र तथा देशी-विदेशी मदिरा की दुकानें होगी। इन मदिरा दुकानों के निष्पादन ई-टेंडर सह नीलामी से होगा एवं आरक्षित मूल्य पूर्व वर्ष के वार्षिक मूल्य से 25 प्रतिशत बढ़ाकर रखा जायेगा।
शेष 12 नगर निगमों वाले जिलों में दुकानों का एक समूह बनाया जाकर मदिरा दुकानों का निष्पादन ई-टेंडर सह नीलामी से होगा एवं आरक्षित मूल्य पूर्व वर्ष के वार्षिक मूल्य से 25 प्रतिशत बढ़ाकर रखा जायेगा।
उपरोक्त से बचे शेष 36 जिलों में वर्ष 2019-20 में प्रचलित मदिरा दुकानों के यथास्थित एकल समूहों के वार्षिक मूल्य में वर्ष 2020-21 हेतु 25 प्रतिशत की वृद्धि कर आरक्षित मूल्य निर्धारित किया जाकर, उनका निष्पादन वर्ष 2019-20 में प्रचलित व्यवस्था अनुसार अर्थात नवीनीकरण, लॉटरी एवं ई-टेण्डर (क्लोज बिड एवं ऑक्शन) के माध्यम से किया जायेगा।
*2)* वर्ष 2020-21 में उप दुकान (Sub Shop) नहीं खोली जाएगी।
*3)* मध्यप्रदेश के अंगूर उत्पादक कृषकों की आय वृद्धि एवं अंगूर की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में अंगूर से बनाई जा रही वाईन के प्रसार हेतु पर्यटन स्थलों पर 15 नये आउट-लेट खोले जाएगे। इन आउट-लेट की फीस मात्र रू. 10,000/- वार्षिक रहेगी।
*4)* विदेशी मदिरा के प्रदाय को ऑन-लाईन किया जाएगा। मदिरा के व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण करने के उद्देश्य से प्रत्येक बोतल में बार-कोड लगाये जाने के अतिरिक्त प्रत्येक बोतल की निगरानी की व्यवस्था का प्रयास किया जाएगा।
जैसा कि हमने पहले भी लिखा है कि इस बार की आबकारी नीति कही ना कही राजनीतिक हस्तक्षेप की भेंट चढ़ते हुए दिख रही है,ठेकेदारो की मोनोपोली को बढ़ाने से छोटे ठेकेदार मानो खत्म से हो हो जायेगे।
माफिया राज को बढ़ावा मिलने के साथ ही शराब की ब्लैक मार्केटिंग और बढ़ेगी।
हालांकि सरकार इस तरह की नीति को काफी हद तक अच्छा कह रही है।जिससे राजस्व में वृध्दि के संकेत है।पूर्व सरकार की माफिक ही वर्तमान सरकार ने आबकारी विभाग द्वारा जारी की जाने वाली टीपी को ऑनलाइन करने पर कोई विचार नही किया।कहाँ यह भी जा रहा है कि गुजरात मे शराब तस्करी के लिए सिंडिकेट को टीपी का बहुत बड़ा सहारा रहता है जिसे वर्तमान सरकार भी छेड़ना नही चाह रही है।
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