भोपाल: बीएसएफ के डीजी 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी विवेक जोहरी के मना करने के बाद अब यह तय हो गया है कि फिलहाल डीजीपी वीके सिंह की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है । वैसे तो कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती लेकिन यूपीएससी का जो जवाब राज्य शासन को मिला है उससे साफ है कि फिलहाल वीके सिंह, विवेक जोहरी और मैथिली शरण गुप्ता में से ही किसी एक को डीजीपी बनाया जा सकता है। जाहिर है विवेक जोहरी के मना करने के बाद अब वीके सिंह और मैथिली शरण गुप्ता में से किसी एक का चयन करना है। गुप्ता के बारे में बताया जाता है कि हैं कि वह प्रैक्टिकल अधिकारी नहीं है और उनकी कार्यप्रणाली किसी भी मुख्यमंत्री को रास नहीं आ सकती। ऐसे में अब केवल वीके सिंह की बचते हैं जो सहज- सरल तो है ही, अब मुख्यमंत्री से चर्चा होने के बाद ऐसा लगता है कि उनकी कार्यप्रणाली भी मुख्यमंत्री के मुफीद होना चाहिए। ऐसे में यह निष्कर्ष तो यही निकलता है कि फिलहाल वीके सिंह को हटाने की अटकलें पूरी तरह खारिज हो गई है।
हम आपको याद दिला दें कि राज्य शासन ने यूपीएससी द्वारा भेजे गए पैनल को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जोहरी की प्रदेश वापसी की सहमति के लिए बिना ही यह पैनल तैयार कर दिया गया था। इस वजह से नए नाम का पैनल राज्य सरकार को भेजा जाए ताकि सरकार प्रदेश में डीजीपी नियुक्त कर सके। इस पत्र के जवाब में यूपीएससी ने मध्य प्रदेश के डीजीपी का नया पैनल भेजने से इंकार कर दिया है। स्पष्ट है सरकार को फिलहाल इन तीनों अधिकारियों में से ही किसी को डीजीपी बनाना होगा। ऐसे में वीके सिंह ही तीनों की तुलना में सरकार के लिए फिलहाल बेहतर चयन है। वैसे भी विवेक जोहरी और मैथिलीशरण दोनों ही इसी साल रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में वीके सिंह की पोजीशन और स्ट्रांग दिखाई देती है।
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