अंबेडकर विश्वविधालय महू में चल रहा है यूनिक प्राथमिक उपचार सर्टिफिकेट कोर्स

 कुलपति प्रोफेसर (डॉ) आशा शुक्ला ने बताया कि करोना काल एक ऐसी राष्ट्रीय आपदा हमारे देश में आई है जिसकी वजह से आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक ताना-बाना अस्त-व्यस्त हो गया है। इस सबके बीच सबसे ज्यादा परेशानी व्यक्तिगत स्वास्थ्य को लेकर हर एक नागरिक ने महसूस की। इसका मुख्य कारण था के अस्पतालों ने, डॉक्टरों ने और निजी दवाखाना अपने संपूर्ण प्राथमिकता कोविड-19 उपचार या कोविड-19 घबराहट की वजह से बदल दी और इसके चलते दूसरी अन्य सभी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती गई।

कोविड-19 की दहशत इतनी हो रही है कि ना तो बीमार अस्पताल या दवाखाना जाने की हिम्मत कर रहा है और ना ही अस्पताल और डॉक्टर मरीजों के लिए उपलब्ध है या उनको देखने की हिम्मत कर रहे हैं।
इन समस्याओं को देखते हुए डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विश्वविद्यालय महू ने अपना सामाजिक दायित्व एवं बोध का निर्वाह किया और देश में सर्वप्रथम 30 घंटों का नवाचार प्राथमिक उपचार पाठ्यक्रम शुरू किया।
सात दिवसीय यह पाठ्यक्रम 50 से 75 व्यक्तियों की बेच बनाकर सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखते हुए किया जा रहा है। इस कोर्स में सभी प्रकार की चिकित्सीय इमरजेंसी में ठीक ढंग से प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण दिया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार अगर इमरजेंसी में सही समय पर प्राथमिक उपचार मिल जाए तो आकस्मिक मृत्यु दर आधे से ज्यादा घट सकता है.‌
इस तरह विश्वविद्यालय ने अभी तक करीब 150 प्राथमिक उपचारक तैयार किए।
प्रशिक्षण भाषणनुमा ना होते हुए वार्तालाप और प्रयोग के तरीके से होता है और इस वजह से हर एक प्रशिक्षणार्थी पूरे पाठ्यक्रम को आत्मसात कर सकता है। 
 यहां यह बताना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बैच में सभी के लिए प्रशिक्षण देता है जिन्होंने भी दसवीं पास कर रखी है। 
इस कार्यक्रम का व्यवसायिक शुल्क करीब 15000 है लेकिन विश्वविद्यालय ने अपनी सामाजिक चेतना एवं उत्तरदायित्व के कारण माननीय कुलपति महोदया प्रोफेसर डॉ (श्रीमती) आशा शुक्ला द्वारा आम जनता के लिए मात्र ₹300 में प्रस्तुत किया है और हमारे पत्रकार बंधुओं के लिए इसे सिर्फ टोकन नामांकन शुल्क 100 में रखा है।


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