जब भी देश में बड़ी कॉरपोरेट संस्थाओं के बारे e में बात होती है तो हम सब के
दिमाग में me आते हैं कुछ बड़े नाम जिन्होंने इंडस्ट्री लगाकर अपना साम्राज्य
खड़ा किया है .
पर किसी का भी ध्यान कॉरपोरेट मिशनरी पर नहीं है जबकि यह मुद्दा बहुत ही ज्वलंत और चिंताजनक मुद्दा है
क्या
आप जानते हैं
भारत में सबसे
बड़ा कॉर्पोरेट कौन
हैं?
टाटा
? नहीं!
अम्बानी ? नहीं!
अदानी
? नहीं! आप चौंक जाएंगे जब आपको पता चलेगा कि
तीन लाख करोड़ सम्पति वाला कोई और नहीं, यह है केरल ka “Syro Malabar Church” जिसका २०००० से अधिक संस्थानों पर नियंत्रण है और इसकी अन्य बहुत सी सहायक संस्थायें भी हैं!
आपको यकीन नहीं हो रहा होगा इस बात पर , है ना?
तो ठीक है! अब इन आंकड़ो को देखिए! इनके अधीन हैं!
9000
प्रीस्ट जिन्हें पादरी भी कहते हैं
37000
नन
3.5 लाख चर्च
मेंबर
34 Diocese जिन्हें चर्च समुह
भी कहा जाता है hai
3763 चर्च
71 पादरी शिक्षा
संस्थान जहां पादरी तैय्यार किए जाते हैं
74860
शिक्षा संस्थान
2614
हॉस्पिटल्स और क्लिनिक्स
77 ईसाई शिक्षा
संस्थान
कुल
मिलकर, 11000 छोटे बड़े संस्थान संचालित हैं
इस कॉर्पोरेट चर्च के द्वारा
इनके
ऊपर सबसे शक्तिशाली चर्च
है – CMA यानि Christian and Missionary Alliance
अगर
आप इस चर्च
का सालाना टर्नओवर देखेंगे, तो
कोई भी कंपनी
इनके आसपास भी
नहीं फटकती हैं!
पूरे
भारत के अंदर,
इस चर्च की
पहुच गांवों तक
हैं और विदेशों में
भी इसके सहयोगी
संस्थान हैं!
SYRO मालाबार चर्च
विशव के कैथोलिक इसाईयत
का सबसे शक्तिशाली अंग
है, जिसका ओहदा
उसकी अपनी सम्पत्ति के
बल से है!
और
सरकार इसकी सम्पति
का ब्यौरा भी
नहीं देख सकती
है!
इस
कारण इनके वास्तविक सम्पति
का आज तक
हमारे
देश के किसी
भी विद्वान, बुद्धिमान, जागरूक,
होशियार, प्रामाणिक, और कर्तव्यनिष्ठ कहलाने
वाले नेताओं को
भी पता नहीं
हैं!
क्यों
कि इनका ऑडिट
भी नहीं होता
है!
अल्पसंख्यक के
नाम पर यह
बहुत बड़ा गोरखधंधा हिन्दुस्तान राष्ट्र के
अंदर खुलेआम चल
रहा है!
इस चर्च का एक दूसरा पहलू भी है -
यह एक प्रकार
से ईस्ट इंडिया
कम्पनी के जैसा
ही कारोबार है!
यहाँ
पर आश्चर्य का
विषय यह है
कि हमारे देश
का संविधान और
नेता इनके सामने
असहाय हैं!
इसके
पास जो जमीनें
हैं, उसका भी
हमारे देश की
सरकार के पास
कोई व्यवस्थित लेखा-जोखा नहीं है!
अगर
किसी एक के
विरुद्ध कोई कोर्ट जाता
है, तो उसके
सहयोग के लिए
एक साथ सैंकडों लोग
खड़े हो जाते
हैं, जैसे वे
रक्तबीज हों!
इनकी
सारी सम्पति का
लगभग 50% हिस्सा तो
केवल शिक्षा संस्थानों के
पास है!
जहाँ
अधिकतर हिन्दुओं के
बच्चे, महंगी फीस
देकर, पढ़ते आ
रहें हैं!
यही
पैसा लोगों को
कन्वर्ट करने में, साधुओं
की हत्या ki प्लानिंग में,
नक्सलवाद में और ना
जाने kitne ही अन्य षडयंत्रों में
उपयोग हो रहा
है!
यहाँ
पर यह उल्लेखनीय है
कि हिन्दू संस्थाओं द्वारा
संचालित सभी स्कूलों पर
टैक्स भी लगता
है और RTE जैसे
नीयम भी लगते
हैं!
जो
कान्वेंट स्कूल पर लागु
नहीं हैं!
उन
स्कूलों की फीस इन
कॉन्वेंट स्कूलों के मुकाबले कुछ
अधिक हो सकती
है!
हर
बड़े शहर के
अंदर स्कूल भी
नहीं बना सकते
क्योंकि चर्च की तरह
उनके पास प्रत्येक गांव,
बस्ती और शहर
में जमीन ही
नहीं होती!
उनको
ऐसे स्कूलों के
लिए थोडा दूर
भी जाना पड़
सकता है!*
इसकी
वास्तविक सच्चाई को पढ़ने
और समझने के
बाद, आपका हर
कदम आने वाली
पीढ़ी के कदमों
को इस देश
में मजबूती से
जमाएगा!
अब
निर्णय आपको करना
है!
अब
यह सब बातें
स्वयं हिन्दुओं को
समझना चाहिए, कि
उनका ही पैसा
एक दिन उनकी
आने वाली पीढ़ियों को
निगल ना जाये!
इसके बाद भी अगर आप अपने apne बच्चों
को ईन कॉन्वेंट स्कूल s में पढ़ाते हैँ तो ये मान कर चलिए ki आप उनके लिए कब्र
का इंतजाम कर रहे हैं rahe hain
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