आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

 


आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

सुनोआपदा  में  मुझे  अवसर  देखने  दो

होती  है  दुनिया  परेशान  तो  हो  जाने दो 

रोते  हैं  लोग तो  उन्हें  बेशक खूब रोने  दो 

होती है प्राणवायु की कमी तो खूब हो जाने दो

सांस  उखड़ती है किसी  की तो उखड़ जाने दो

……… आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

उठता है  साया  बाप का किसी के सर से तो उठ  जाए

किसी घर का चिराग बुझता हो तो बुझ जाए 

सुहागन की मांग सूनी  होती  हो  तो  हो जाए

यहां लाशों के ढेरवहां लाशों के ढेर, लगते  हो तो लग जाएं

लकड़ियाँ श्मशान में कम पड़ती हैं तो पड़ जाएँ

जगह कब्रिस्तान में कम पड़ती हो तो पड़ जाये

……… आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

शून्य होते मस्तिष्क में भी सपने आखिर तक थे 

बुझती हुई आंखों में भी उम्मीद आखिर तक थी 

उखड़ती  हुई सांसों  में भी गर्मी आखिर तक थी 

लुप्त होती  सिसकियों में आस आखिर तक थी 

हर तरफ तबाही थी,  हर  तरफ़  दर्द  था,  हर  तरफ़ मौत का मंजर था 

……… आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

जिंदगी  तो  जैसे हो मौत  के  पास  गिरवी

उम्मीद  तो  जैसे   हो  मायूसी  के  पास  गिरवी

आशावाद जैसे हो निराशावाद के पास गिरवी

ईमानदारी  जैसे  हो  बेईमानी  के  पास  गिरवी

आदर्श  जैसे  हो  किसी  लालच के पास गिरवी

……… आपदा नहीं, अवसर है ये मेरे लिए

बढ़ते मरीजों  को  देख मिलता  है  मुझे सुकून 

गहने  बिके या घर किसी केक्या फर्क पड़ता है मुझे

रुपयों की गड्डियाँ तिजोरी में देखकर मिलता है मुझे सुकून

आप...आप…और आपके लिए होगी ये मुसीबत या आपदा,

मेरे  लिए  तो है ये सिर्फ और सिर्फ बेहतरीन अवसर!

राजेश जौहरी,

ग्रामकोदरियातेहमहू,

जिलाइंदौर (.प्र.)

मो- 7509075096

ईमेल- “jauhrirajesh@gmail.com


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