*खुद चयनित न हो सके तो निराशा में नहीं डूबे बल्की ग्रामीण जनजातीय युवाओं को शासकीय सेवक बनाना अपने जीवन का लक्ष्य बनाया*
*मेहनत, लगन और संघर्ष का नाम ही तो जीवन हैं- अंकित व्यास*
*भगवान भी उन्हीं का साथ देते हैं जिनमें खुद को बदलने की क्षमता होती है और एक समय पर एक कार्य करने की जिद करते हैं- व्यास*
इंदौर। सामान्य से मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लिया। पिता कृषक, मां गृहिणी के साथ-साथ छोटी-सी दुकान की संचलिका है। जन्म से ही जीवन एक संघर्ष रहा। समस्त प्रकार की विघ्न बाधाओं से निकल कर राजनीति में स्नाकोत्तर की उपाधि के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के क्षेत्र में ध्यान आकर्षित हुआ । कई परीक्षाओं में असफलता मिलती गई परन्तु संघर्ष नहीं रुका। कहावत है शिक्षा कभी व्यर्थ नही जाती, यहाँ सत्यार्थ के साथ लागू हुई और एक कहावत है की आप कुछ मुकाम हासिल न कर पाए यदि आपकी शिक्षा अच्छी है तो अच्छे सलाहकार तो बन ही जाओगे। यहाँ पर यह भी पूरी तरह लागू हुआ। आज करियर गाइडेंस के साथ-साथ कई बच्चो का भविष्य संवार दिया। अंकित ने कई संस्थानों मे शिक्षा प्रदान की और उनके द्वारा पढ़ाये और प्रशिक्षित किये गए कई छात्र-छात्राएं पुलिस आरक्षक, पुलिस सब इंस्पेक्टर, पटवारी, रेलवे, बैंक, भेल, आर्मी, पेरामिलेट्री फोर्स जैसे कई विभागों में कार्यरत हैं। इन बच्चो के चयन के बाद अंकित को कई संस्थानों ने सम्मानित किया। इसके साथ करियर गाइडेंस के लिए कई जगह अतिथि के रूप में बुलाया गया। हिंदी के नये शब्दों को पढ़ना , सुनना शौक होने के कारण डॉ. कुमार विश्वास जी के फेसबुक पर किये गए पोस्ट के कमेंट पर चयनित शब्दों को लाइक किया जाता रहा है।
अंकित व्यास आज खरगोन जिले की बड़वाह तहसील में स्वयं प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करवाने के लिए संस्था संचालित कर रहे।
जैसा डाॅ. महिमा दुबे ने आपके विषय में जितेन्द्र शिवहरे को बताया।
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