रियासतकालीन सजवाय तालाब की रिपेयरिंग की कावायद हुई शुरू..
बड़वानी। जिले के अंजड़ के समीप रियासतकालीन सजवाय तालाब की क्षतिग्रस्त पाल काे सुधारने का काम शुरू कर दिया गया है। इसे जल्द पूरा करने कि बात कही जा है, ताकि बारिश में तालाब में पानी संग्रहण में परेशानी न हाे। केंद्र सरकार की एसडीआरएफ योजनाअंतर्गत 1 करोड़ 85 लाख रुपये की लागत से रियासत कालीन लगभग 101 साल पुराने रणजीत तालाब की पाल, वेस्टवेयर, सुसाड नदी से डायवर्सन गेट सहित आसपास सफाई का काम इंदौर के ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है।
आपको बता दें कि जलसंसाधन विभाग के अधिन इस तालाब में निर्माण के बाद अब रिपेयरिंग का काम करवाया जा रहा है। जलसंसाधन विभाग के सब इंजीनियर एसएस चौहान
ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में सजवाय के रणजीत तालाब पर कार्य शुरू करवाया है ।आवश्यक कमी-पेशीयों को दुर कर अब फिर से तालाब में पुरी क्षमता से पानी संग्रहित हाे सकेगा।
गौरतलब है कि रणजीत तालाब में 182 वर्ग किलोमीटर दूर से वर्षाजल संग्रहित होता है तो वहीं 450-500 मिलियन घनमीटर की विशाल क्षमता से इसमें वर्षा जल सहित इंदिरा सागर नहर से भी भरा जाता है। जिससे लगभग 1300 हेक्टेयर से अधिक कृषि भुमि के लिए जल आपुर्ति करने के लिए क्षेत्र का यह प्रमुख जल स्त्रोत है।
आइए इसके इतिहास पर नजर डालें.......
आपको बता दें कि सन 1920 में बडवानी नरेश महाराजा रणजीत सिंह के प्रथम विश्व युद्ध में सकुशल वापसी की खुशी में बनाया गया था। सजवाय गांव में बना यह विशाल तालाब तकरीबन 225 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे भरने के लिए सोसाड नदी से एक फिडर चैनल बनाया गया है, जिससे इसमें वर्षाकाल में पानी जमा होता है। दरअसल मिट्टी से बनी पाल पर लंबे समय से पिचिंग नहीं होने से वह लगभग 4 से 5 फिट तक नीचे बैठ गई है, वहीं सिमेंटीकृत वाल भी दरकने लगी थी। इसके अलावा वेस्टवेयर के सामने ऐरन से बनी दिवार भी क्षतिग्रस्त होने लगी थी। जिसके कारण अधिक पानी के दबाव में तालाब की दिवार दरकने का भय बना हुआ था, इससे अंजड नगर के मध्य बहने वाली भोंगली नदी के आसपास के क्षेत्र के रहवासियों सहित सैकड़ों किसानों को भी बडे नुकसान का खतरा मंडराने लगा था। आपको बता दें वर्तमान में लगभग 35 से 40 फिट तालाब भरा हुआ है, जिसके वेस्टवेयर से पानी गिरकर भोंगली नदी के माध्यम से अंजड नगर से होकर गुजरता है।
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