*डॉ.अम्बेडकर के समरसता एवं समावेशी मूल्यों को आत्मसात करने की जरुरत - विकास त्रिवेदी, निदेशक*
*बाबासाहब के वैचारिक मूल्यों को वैश्विक फलक पर पंहुचाना प्राथमिकता– प्रो। आशा शुक्ला, कुलपति*
*23 नवंबर से 7 दिसंबर, 2021 तक चलने वाले डॉ। अम्बेडकर वैचारिक स्मरण पखवाड़ा का हुआ शुभारम्भ*
महू (इंदौर)। डॉ. अम्बेडकर के विचार एवं दर्शन समाज केन्द्रित है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने देश में विभिन्न स्थानों पर डॉ. अम्बेडकर एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना करने का निर्णय लिया है जिनके माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा महिलाओं के सर्वांगींण विकास किया जायेगा। डॉ। अम्बेडकर को आत्मसात करने की जरुरत है। उक्त बातें ब्राउस में 23 नवंबर से 7 दिसंबर तक चलने वाले डॉ. अम्बेडकर वैचारिक स्मरण पखवाड़ा के उदघाटन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के डॉ. अम्बेडकर प्रतिष्ठान नई दिल्ली के निदेशक विकास त्रिवेदी बतौर मुख्य अतिथि कही।
डॉ. अम्बेडकर के विचार एवं दर्शन में समता एवं समावेशी की झलक दिखाई देती है। डॉ। अम्बेडकर के विचार एवं दर्शन को आगे बढ़ाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए । विद्यार्थियों को निरंतर डॉ। अम्बेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सीखते रहना होगा। राष्ट्र उन्नयन के पुरोधा डॉ. अम्बेडकर को समझने के लिए निरंतर अकादमिक गतिविधियाँ चलते रहना चाहिए।
पखवाड़ा अध्यक्ष ब्राउस कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने उद्बोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर आज भी वैचारिक तौर पर जीवंत है। वैश्विक फलक पर उनके विचारों को पंहुचाना के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में स्थापित डॉ. अम्बेडकर पीठ और अम्बेडकर विचार एवं दर्शन अध्ययनशाला बाबा साहब पर केंद्रित अनुसंधान एवं शैक्षणिक गतिविधियां क्रियान्वित कर जनमानस में उनके दर्शन, महत्त्व एवं वैचारिक दृष्टि को प्रसारित कर रहा है। 15 दिन तक चलने वाले इस पखवाड़ा में उनके विचार एवं दर्शन पर केंद्रित कई कार्यक्रमों के माध्यम से उनको नमन किया जा रहा है। पखवाड़ा के विभिन्न कार्यक्रमों में तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति वेबीनार, संविधान दिवस पर राष्ट्रीय वेबीनार ‘डॉ. अम्बेडकर: भारत में बुद्ध धम्म का पुनःप्रवर्तन’, ‘भारतीय संविधान के मानवीय पक्ष’, गाँव से संवाद प्रसार कार्यक्रम, डॉ. अंबेडकर प्रतिष्ठान योजना संबंधी जागरूकता कार्यक्रम, स्वच्छता कार्यक्रम, राष्ट्र के सामाजिक उत्थान में महात्मा ज्योतिबा फुले का योगदान, राष्ट्रीय परिसंवाद ‘राष्ट्र गौरव डॉ. अंबेडकर जन्मस्थली का वैश्विक महत्व’, इंटरचेयर कोलैबरेशन प्रोग्राम केन्द्रित राष्ट्रीय वेबीनार,‘भारतीय नारीवाद और डॉ. अम्बेडकर’, महापरिनिर्वाण दिवस, रिसर्च ट्रेनिंग एंड फ़ैकल्टी कैपासिटी बिल्डिंग प्रोग्राम सहित कई वैचारिक एवं अकादमिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
डॉ। अम्बेडकर पीठ के प्रोफ़ेसर डॉ. देवाशीष देवनाथ ने आधार वक्तव्य में कहा कि अम्बेडकर समतामूलक समाज की स्थापना करना चाहते थे। उन्हीं के उद्देश्यों को केंद्र में रखकर गतिशील विश्वविद्यालय डॉ। अम्बेडकर के व्यक्तित्व कृतित्व एवं दर्शन को जन-जन तक पंहुचाना आज की जरुरत है। अम्बेडकर के चिंतन में राष्ट्र सर्वोपरि रहा है। इस वैचारिक स्मरण पखवाड़े के अंतर्गत डॉ। अम्बेडकर तथा उनसे सम्बद्ध महापुरुषों के जीवन दर्शन पर आधारित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किये जा रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते बाबू जगजीवन राम पीठ के प्रोफ़ेसर डॉ. शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि देश में 24 स्थानों पर अम्बेडकर पीठ के माध्यम से डॉ। अम्बेडकर के विचारों और दर्शन पर शोध कार्य हो रहे हैं। डॉ. अम्बेडकर के जन्मस्थली पर स्थापित इस विश्वविद्यालय मे ही अम्बेडकर विचार एवं दर्शंशाला के अंतर्गत तीन विभाग क्रियाशील है। पखवाड़ा में चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भावरा में ब्राउस द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. अजय वर्मा, अधिष्ठाता डॉ. मनीषा सक्सेना, ब्राउस के सभी शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम कोविड प्रोटोकाल के तहत ऑनलाइन और ऑफलाइन में आयोजित हुआ।
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