भारतीय और आधुनिक ज्ञान के समन्वय से समग्र, सर्वांगीण और विकास परक है राष्ट्रीय शिक्षा नीति - अतुल कोठारी
महू। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत और राष्ट्र केंद्रित नीति है जिसमें भारतीय ज्ञान और आधुनिक ज्ञान के समन्वय से शिक्षा को समग्र, सर्वांगीण और विकास परक बनाया गया है। जिसका उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो विचार से, बौद्धिक रूप से व्यवहार और कार्य से भारतीय बने। जिसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में व्यवहार शिक्षा, व्यवसाय शिक्षा और कौशल विकास शिक्षा के साथ मूल्य, चरित्र, नैतिकता की शिक्षा को शामिल किया गया है। उक्त विचार शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने डा. बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन : चुनौतियां एवं संभावनाओं" पर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए व्यक्त किए। उन्होंने क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों को स्पष्ट करते हुए छात्र, शिक्षकों और अभिभावकों अभिभावकों की भागीदारी को सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व में भारतीय ज्ञान की उपेक्षा की गई थी लेकिन नई शिक्षा नीति में इसे समाविष्ट किया गया है। उन्होंने प्रो. आशा शुक्ला के कुलपति के रूप में 3 वर्ष पूरे होने पर और सफल, सुफल एवं अप्रतिम योगदान के लिए बधाइयां दी तथा कहा कि वे इसी प्रकार निरंतर क्रियाशील रहे, यही अपेक्षा है।
राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी भोपाल के निदेशक अशोक कडेल ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शिक्षा में सुधार के लिए अनेक आयोग और समितियों का गठन हुआ, 1968 और 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीतियां भी बनी लेकिन जिसकी अपेक्षा थी वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से पूरी हुई है। उन्होंने भी कहा कि प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान की समन्वयकारी इस नीति में चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास जैसे मुद्दों को महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए कटिबद्ध है, हिंदी ग्रंथ अकादमी भी विभिन्न शिक्षकों से इस पर पुस्तक लिखने का अनुरोध कर रही है। इसी अवसर पर मध्यप्रदेश पीएससी की पूर्व सदस्य एवं शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास की अखिल भारतीय महिला प्रभारी शोभा ताई पंडारकर ने कहा कि भारतीय परंपरा में महिला-पुरुष परस्परावलंबी हैं, एक दूसरे के अर्ध हैं, और एक दूसरे के बिना पूर्ण नहीं है, यहां महिला और पुरुष में स्पर्धा नहीं है वरन सहयोग है, यह शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा में आना चाहिए जिसमें महिलाओं के प्रति सम्मान को समाज में प्रतिष्ठित किया जा सके। उन्होंने कहा कि वे विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रही हैं।
राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डा.अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू की कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को सफल बनाने के लिए विश्वविद्यालयों के विषयवार पाठ्यक्रम के परिमार्जन के लिए 50 से अधिक वेबीनार/सेमिनार के आयोजन का निर्णय भारतीय शिक्षण मंडल के साथ लिया है । जिसमें से विभिन्न विषयों पर 30 से अधिक वेबीनार और चार कुलपतियों के सम्मेलन का आयोजन किया जा चुका है। सभी की रिपोर्ट प्रकाशन के लिए तैयार हो चुकी हैं। यह एनीईपी 2020 के क्रियान्वयन में एक सार्थक भूमिका का निर्वाह करेगा। राष्ट्रीय संगोष्ठी में इन वेबीनारओं की एक संक्षिप्त रिपोर्ट का लोकार्पण मुख्य अतिथि श्री अतुल कोठारी जी के द्वारा संपन्न किया गया गया।
प्रस्तावना वक्तव्य में डॉक्टर डी के वर्मा, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान संकाय ने कहा कि गुणवत्ता युक्त, शोध परक और रोजगार मूलक शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयास कर रहा है, ऐसे बहुत सारे पाठ्यक्रमों को पहचाना गया है साथ ही उन्होंने शिक्षा की वस्तु को लचीला बनाने और शिक्षण के संपूर्ण पुनर्संरचना की आवश्यकता को रेखांकित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. शैलेंद्र मणि त्रिपाठी, आचार्य, बाबू जगजीवन राम शोध पीठ ने कहा कि अंबेडकर के विचारों और दर्शन के अनुरूप यह विश्वविद्यालय अपनी एक विशिष्ट छवि का निर्माण करता जा रहा है। राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन प्रो. सुरेंद्र पाठक ने और आभार प्रदर्शन डॉ. अजय वर्मा, कुलसचिव, ब्राउस ने किया।
आज के दिन ही कुलपति प्रो. आशा शुक्ला के कुलपति के रूप में 3 वर्ष पूरे हुए, इस अवसर पर विद्यालय परिवार की ओर से उन्हें शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सभी संकाय अध्यक्षों ने सम्मानित किया।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में मालवा अंचल के शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास के विभिन्न पदाधिकारी शिक्षाविद श्री ओम शर्मा, प्रो. रवींद्र शुक्ला, डॉ. राजेश वर्मा, डॉ. दवे, श्री मनीष देवनानी, डॉ. सचिन शर्मा डॉ. सतीश शर्मा, डॉ. मनोज गुप्ता अधिष्ठाता डॉ. मनिषा सक्सेना, डॉ देवाशीष देवनाथ, डा. रामशंकर, डॉ अजय दुबे, जितेंद्र पाटीदार, सहायक कुलसचिव संध्या मालवीय, डॉ चेतना बोरीवाल, डॉ बिंदिया तातेड, डॉ शैलेंद्र मिश्रा एवं अनेक प्रतिभागियों सहित विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई।
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