*परमेश्वर सब का रक्षक और पालक है- आचार्य योगेंद्र शास्त्री*
*भगवान भक्त का अहंकार खाता है -योगेन्द्र शास्त्री*
महू। गायत्री महायज्ञ के चौथे दिन पूर्णाहुति में 21 जोड़ों ने यज्ञ में सम्मिलित होकर आहुतियां डाली। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य योगेंद्र शास्त्री (होशंगाबाद) ने कहा कि दैनिक जीवन के साथ-साथ समाज व राष्ट्र के लिए भी यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा कि जिस घर में यज्ञ होता है, उसमें ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। आर्ष कन्या गुरुकुल (मोहन बड़ोदिया) की कन्याओं ने सस्वर मंत्र पाठ करके यज्ञ में आहुतियाँ डलवाईं। भजनोंउपदेशक मोहित शास्त्री (बरेली) , काशीराम "अनल" शाजापुर,ने सुमधुर ओजस्वी राष्ट्रभक्ति व परमात्मा के प्रति सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध व भाव विभोर हो गए।
तत्पश्चात यज्ञ के ब्रह्मा योगेंद्र शास्त्री ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि परमेश्वर हमारा बंधु है, जो हमें प्रेम में बांधकर रखता है। वह परमात्मा हमारा स्वामी है, हमारा राजा भी है, जो हमारी गलतियों पर न्याय पूर्ण दंड भी देता है। परमेश्वर की न्याय व्यवस्था को बताते हुए आपने कहा कि मनुष्य पूरे जीवन अपने प्रेम के पात्र बदलता रहता है। बचपन में मां, विद्यालय में पुस्तक, जवानी में मित्र ,शादी के बाद पत्नी, फिर बच्चे तथा बुढ़ापे में पोता। जब अंत में बीमार होता है तब उसे डॉक्टर अच्छा लगने लगता है। उस परमात्मा के प्रति वह जीवन भर प्रेम प्रकट ही नहीं कर पाता, जिसने उसे बचपन से बुढ़ापे तक की लंबी स्वस्थ आयु प्रदान की। काश बचपन से ही उसमें परमात्मा को अपने प्रेम का पात्र बना लिया होता, तो इतने पात्र बदलने ही ना पढ़ते। दुनिया में ऐसा कोई पदार्थ नहीं जिसे तुम ईश्वर को दे सकते हो , देना है तो अपने अहंकार को समाप्त करो । भगवान भक्त का अहंकार खाता है । आपने आगे कहा आत्मा बलवान होना चाहिए साथ ही शरीर और समाज को बलवान बनाकर ही राष्ट्र धर्म रक्षा की जा सकती है । वह परमेश्वर सभी का रक्षक व पालक है । वही परमेश्वर समस्त विश्व में चर अचर का रक्षक है । परमेश्वर आकाश की तरह व्यापक है , परमेश्वर के समान दूसरा कोई नहीं । वह इकलौता जो हमें प्रेम में बांध कर रखता है ।
प्रातः काल की यज्ञ व्यवस्था में वेद प्रकाश आर्य , अजय गोयल ,भागीरथ प्रजापति , तेजसिंह आर्य , राधेश्याम आर्य , द्रोणाचार्य दुबे आदि सहयोगी रहे । मंचीय व्यवस्था में रामलाल शास्त्री , राजेश नैनावा , अश्विनी शर्मा , सुनीति शर्मा , निधि शर्मा , श्रीधर गोस्वामी , आर्य रामलाल प्रजापति आदि सहयोगी रहे । भोजन व्यवस्था आशीष आर्य , श्याम आर्य , सुरेश आर्य ,कमल धानुक , प्रेम , जीवन , राजपाल , शंकर , उमेश राव , ईशान दुबे , ध्रुव आर्य , रामेश्वर आर्य आदि सहयोगी रहे । कार्यक्रम की अन्य व्यवस्था में ओमप्रकाश आर्य , दिनेश श्रीवास्तव , चैनसिंह आर्य , दरबार सिंह , लाखन सिंह , चारुलता आर्य , सरिता नेनावा , रेखा गोयल , धनवंतरी शर्मा अंशु दुबे , चंचल टांक आदि सहयोगी रहे । अतिथियों की स्वागत की व्यवस्था में आर्य राधेश्याम बियाणी , श्रीधर गोस्वामी , श्रीराम जायसवाल , अरुण आर्य , अनिल आर्य , राजेंद्र हर्षवाल , डॉ उषा किरण त्रिपाठी , रवि आर्य , हरिशंकर शर्मा , गणेश आर्य , राधेश्याम आर्य आदि सहयोगी रहे । भोजन प्रसादी के निर्माण में सतीश सैनी एवं तिवारी का सहयोग सराहनीय रहा । कार्यक्रम की संपूर्ण संयोजन व्यवस्था पूर्व न्यायाधीश बी डी ज्ञानी एवं अंतर्राष्ट्रीय वैदिक वक्ता प्रकाश आर्य ने की । उक्त जानकारी द्रोणाचार्य दुबे ने दी।
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