आशीष यादव, धार
आवेदकों नही होना पड़ेगा परेशान
सरकार के नए नियमों के तहत जनता को ओर सुगम सुविधाएं मिलने वाली है वही जमीनों के खरीदने - बेचने के लिए संपदा सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन ही नामांतरण प्रकरण तहसीलदार के पास पहुंच रहे हैं । इसके बाद भी नामांतरण को लेकर तहसील के चक्कर काटने की बात सामने आ रही थी । अधिकांश ऑनलाइन आवेदन को तहसीलदार खारिज कर रहे थे । इसके बाद शासन ने राजस्व और पंजीयन विभाग के लिए नई तकनीक बनाई है इसमें संपदा पोर्टल और आरसीएमएस को इंटीग्रेट किया गया है । इसमें संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्री होते ही आरसीएमएस पोर्टल पर नामांतरण आवेदन अपने आप दर्ज हो जाएगा । इसके बाद पेशी की तारीख भी सॉफ्टवेयर तय कर देगा । दरअसल , शासन ने राजस्व और पंजीयन विभाग के लिए नई तकनीक के उपयोग की योजना बनाई है । जल्द ही सायबर तहसील के माध्यम से रजिस्ट्री नामांतरण योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा । आमजन की सुविधा के लिए भूमि क्रय - विक्रय को लेकर होने वाली रजिस्ट्री को भू - अभिलेख पोर्टल के इंटीग्रेशन से सरल बनाया गया है । संपदा पोर्टल और आरसीएमएस आपस में जोड़ा गया है । इस पोर्टल पर किए गए इंटीग्रेशन से जनता को रजिस्ट्री के समय भूमि का सत्यापन करने की सुविधा भी दी गई है । संपदा पोर्टल पर रजिस्ट्री होते ही आरसीएमएस पोर्टल पर नामांतरण आवेदन अपने आप ही दर्ज हो जाता है और पेशी की तारीख भी तय हो जाती है ।
प्रकरण हो रहे थे निरस्त
ऑनलाइन आने वाले आवेदनों को लेकर जिले में तहसीलों में लोगो को सुविधा कम ही मामलों में मिल पा रही थी । अधिकांश मामलों में तहसीलदार के माध्यम से आवेदन निरस्त ही किए गए हैं । तहसीलदार ने बगैर सूचना के ही प्रकरण में लिखा है , कि आवेदक उपस्थित होकर अपने दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं । इसके चलते आवेदन निरस्त किया जाता है । लेकिन अब आवेदक को सूचना के देने के लिए आधार व रजिस्ट्री के समय दर्ज कराए गए मोबाइल नंबर पर संदेश भेजकर बुलाया जा सकेगा ।
सभी दस्तावेज आते हैं पोर्टल पर नजर
रजिस्ट्री के समय विक्रेता की जमीन का खसरा होने के साथ ही दोनों पक्षों के आधार कार्ड , पावती और रजिस्ट्री ऑनलाइन ही सामने आ जाती है । चतुर्सीमा भी उसमें नजर आती है । गूगल के माध्यम से फोटो व नक्शा भी नजर आता है । यही नहीं , भू अभिलेख पर मिसल से लेकर वर्तमान तक की खसरा व नक्शा ऑनलाइन दर्ज है । ऐसे में पटवारी और तहसीलदार को नामांतरण में आवेदक के उपस्थित होने की आवश्यकता को सरकार ने ना के बराबर कर दिया है ।
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