आशीष यादव, धार
शहर में बुधवार को राष्ट्रप्रेम का अद्भूत माहौल था। मुख्य मार्गों पर हाथों में मशाल लेकर हजारों युवाओं का समूह उनके मुख से भारत माता की जय के गूंजते नारों ने पूरे शहर को राष्ट्रभक्ति के रंग में सराबोर कर दिया। आयोजन था प्रतिवर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस पर शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु की स्मृति में निकनले वाली शहीद क्रांति मशाल यात्रा का। यूं तो यात्रा विगत 20 सालों से (कोरोना संक्रमण काल को छोड़कर) नियमित रूप से निकाली जा रही है। इस वर्ष इसका स्वरूप विस्तारित था।
परंपरागत मार्ग से हटकर यात्रा ने नगर में भ्रमण किया। इस दौरान सभी प्रमुख मार्गों तक पहुंचने का प्रयास किया गया। करीब 2 से 3 किलोमीटर मशाल यात्रा ने शहर के प्रमुख मार्गों पर भ्रमण किया। मोतीबाग चौक पर समापन के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने युवाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सबसे कम उम्र में शहीद भगतसिंह ने अपने साथियों के साथ देश के लिए बलिदान दिया। हजारों बलिदानियों की बदौलत हमें आजादी मिली है। हम सबको संकल्प लेना है कि अपने प्राणों की आहुति देकर भी हम इस देश की और आजादी की रक्षा करेंगे।
शहीदों के प्रतीक बने, चूमा फंदा
बुधवार को 3 घंटे तक धार के प्रमुख मार्गों पर युवाओं की मौजूदगी दिखाई दी। मशाल यात्रा के स्वागत के लिए अनेकों स्थानों पर स्वागत मंच से पुष्पवर्षा की गई। 23 मार्च की सुबह से ही शहर में देशभक्ति के गीत सुनाई दे रहे थे। मशाल यात्रा के प्रचार हेतु संचालित वाहन से मेरा रंग दे बसंती चोला के गीत ने राष्ट्र पर्व का माहौल बना दिया। सायं साढ़े 8 बजे के दरम्यिान यात्रा मोतीबाग चौक से भारत माता की जय के घोष के साथ प्रारंभ हुई। शहर के अलग-अलग इलाकों से युवा हुजूम के रूप में ढोल-ढमाकों के साथ यात्रा में सम्मिलित हुए। यात्रा के मद्देनजर शहर में अनेकों स्थानों पर केसरिया पताकाएं लगाई गई थी। मशाल यात्रा में शहीद भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का प्रतीक बनकर युवाओं ने उनके हंसते-हंसते बलिदान देने का दृश्य जीवंत किया।
प्रज्जवलित मशालों ने क्रांति का दौर याद दिलाया
बुधवार को मोतीबाग चौक में युवाओं का हुजूम एकत्रित हो गया था। ज्योति मंदिर में यात्रा आयोजक व भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने अखंड ज्योति के दर्शन किए। इसके पश्चात शहीद क्रांति मशाल यात्रा मोतीबाग चौक में प्रज्जवलित की गई। हजारों मशालों के प्रज्जवलित होने के बाद युवाओं का हुजूम जब सड़कों पर भारत माता के जयकारे लगाते हुए निकला तो आजादी की लड़ाई में युवा क्रांति का दौर जीवंत हो उठा। देश भक्ति के गीत, राष्ट्र प्रेम के नारे, युवाओं के हाथों में मशाल, केसरिया ध्वज, तिरंगे ने धार में राष्ट्र प्रेम का माहौल बना दिया। नन्हें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक यात्रा में शामिल थे।
इन क्षेत्रों से गुजरी यात्रा
शहीद क्रांति मशाल यात्रा मोतीबाग चौक (भोजशाला) से प्रारंभ हुई। यात्रा के पूर्व मंचीय कार्यक्रम में आजादी के अमृत महोत्सव के जिला संयोजक सोमेन्द्रसिंह राठौर ने भी संबोधित किया। उन्होंने आजादी के गुमनाम नायकों और क्रांतिवीरों के बलिदान के महत्व को बताया। इस दौरान कई कलाकारों ने गीत की प्रस्तुतियां दी। मंच का संचालन दीपक पंवार ने किया। यादव ने मेरा रंग दे बसंती चोला गीत गाकर सुनाया। यात्रा में ढोल-मांदल भी शामिल थे। यात्रा मोतीबाग चौक से राजबाड़ा, आनंद चौपाटी, धानमंडी, पट्ठा चौपाटी, पौ चौपाटी होते हुए मोतीबाग चौक पर समाप्त हुई।
सोमेन्द्रसिंह राठौर ने सभा को संबोधित किया
23 साल की उम्र में हर युवा के अपने सपने होते है। शहीद भगतसिंह भी उम्र के उसी दौर में चल रहे थे। उनका सपना अन्य युवाओं से अलग था। वह अपने स्वयं के लिए कुछ भी नहीं चाहते थे। उनका सपना था हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो। वह समग्र देश के हित के लिए सपने देखते थे। हजारों क्रांतिकारियों के बलिदान और संघर्ष से देश को आजादी मिली है। हम सबको मिलकर इस आजादी, देश की एकता, अखंडता की रक्षा करने का संकल्प लेना है। आज देश की एकता-अखंडता को खंडित करने के प्रयास हो रहे हैं। हम युवा ही इन प्रयासों को विफल कर सकते हैं। हमारी एकता ही हमारी ताकत है। संगठित रहेंगे तो मजबूत बने रहेंगे। इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हमारे दिल में राष्ट्रप्रेम हमेशा चैतन्य रहना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए ‘मैं रहूं या ना रहूं यह देश रहना चाहिए’। यह बात बुधवार को शहीद क्रांति मशाल यात्रा के समापन के दौरान आयोजन राजीव यादव ने युवाओं से कही। उन्होंने कहा स्वस्थ्य रहे, सशक्त बनें। सकारात्मक सोच रखे, रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहे। देश के विकास के लिए अपने-अपने स्तर पर योगदान दें। वही यात्रा विश्वास पांडे,सन्नी रिंग,जय सूर्या प्रकाश धाकड़, अंकित भावसार,आदि नेता मौजूद थे
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