आज मजदूर दिवस पर कवयित्री गीतांजलि कश्यप की एक बेहतरीन कविता

 




चलते-चलते थका हूँ मैं पर साहस

अभी डिगा नही,

हूँ मजदूर मेहनतकश मैं आसान

रास्ता कभी मेरे लिए था ही नही,

मीलो चलना अब दिखता है, सूरज में खपना अब दिखता है,

ऊंची ऊंची इमारतों पर नीचे ऊपर नीचे ऊपर हर दम ही तो चलता था मैं,

तब ना थी तुमको मेरी कदर तो अब क्यो करते हो तुम मेरी फिकर,

हाँ चला हूँ कदमों से गगन नापने गर गिरू जमीं पर तो अफ़सोस कैसा

भूखा हूँ चोटिल हूँ पर मरहम की तुमसे क्यों दरकार करूँ, चुना है रास्ता मैंने खुद ही, मैं ही बना के नैया समुंदर पार करूँ।


                                                          लेखक-गीतांजली कश्यप

टिप्पणियाँ
Popular posts
*67 वी राष्ट्रीय नेशनल राइफल शूटिंग चैंपियनशिप 2024*, वारियर राइफल पिस्टल शूटिंग क्लब महू के तीन खिलाडी भारतीय राइफल शूटिंग टीम इंडिया के ट्रायल के लिए सिलेक्ट
चित्र
जिन्होंने करवाया था वॉरेन एंडरसन को फरार, आज कचरे पर मचा रहे हैं हाहाकार - डॉ राजेश जौहरी, वरिष्ठ पत्रकार
चित्र
चन्द्रशेखर आज़ाद नगर में भव्य कलश यात्रा के साथ प्रारम्भ हुई प्रभुजी नागर की कथा, कलश यात्रा में क्षेत्रीय सांसद, नगर परिषद अध्यक्षा, पूर्व विधायक सहित हजारो की संख्या में शामिल हुए भक्तगण
चित्र
25 दिसम्बर से शुरु होगी पंडित नागर की कथा, बन रहा विशाल वाटर प्रूफ पंडाल कथा की तैयारियों का जायजा लेने पहुचे केबिनेट मंत्री नागरसिंह चौहान तैयारियों को लेकर समिति को दिए आवश्यक निर्देश
चित्र
आयोजन के लिए संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी से अनुमति प्राप्त किया जाना होगा आवश्यक
चित्र