आशीष यादव, धार
आदिवासी जिलों के लोगों के लिए अच्छी खबर है। मप्र हाउसिंग बोर्ड इन जिलों में कम लगात के गुणवत्तापूर्ण और सर्वसुविधायुक्त हाउसिंग प्रोजेक्ट लेकर आएगा। इससे इन जिलों के रहवासियों को फायदा होगा। प्रोजेक्ट की शुरुआत पश्चिमी मप्र के आदिवासी जिले झाबुआ से होगी। इस बात की पुष्टि खुद मप्र हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी ने की है। वे पिछले दिनो झाबुआ आए थे। उनके साथ अपर आयुक्त बीएल सोलंकी और इंदौर उपयुक्त वायके दोहरे भी मौजूद थे। तिवारी ने बताया आदिवासी जिलों पर हमारा पूरा फोकस है। जनजाति समाज के हमारे जो लोग है उनके लिए हम हाउसिंग के ऐसे प्रोजेक्ट लाने की योजना पर काम कर रहे हैं, जिनकी लागत तो कम हो साथ ही वे सर्वसुविधायुक्त भी हो। झाबुआ के माधोपुरा क्षेत्र में ऐसा ही एक प्रोजेक्ट पाइप लाइन में है। यहां सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है। इस प्रोजेक्ट में 200 मकान बनेंगे।
अधूरे काम पूर्ण होंगे
जिले में 9 मंदिरों के जीर्णोद्धार के काम अटके पड़े हैं। 1 करोड़ 98 लाख की लागत के निर्माण कार्य की एजेंसी मप्र हाउसिंग बोर्ड है। तिवारी के सामने जब ये बात आई तो उन्होंने शीघ्र ही निर्माण कार्य पूर्ण करवाने का आश्वासन दिया। उन्हें ये भी बताया गया कि वर्तमान में धार जिले के प्रभारी एसडीओ बीएल चौहान के पास झाबुआ का अतिरिक्त प्रभार है, जिससे वे पूरा समय नहीं दे पाते। इस पर मप्र हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी ने कहा इसलिए मैं सभी बड़े अधिकारियों को साथ लेकर आया हूं। जरूरत पड़ी तो व्यवस्था में बदलाव करेंगे।
क्यों जरूरी है कम लागत के प्रोजेक्ट : मप्र के 7 संभाग के अंतर्गत 20 जिलों में 89 आदिवासी विकासखंड स्थित है। यहां अब भी एक बड़ी आबादी कच्चे मकानों में रहती है। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना से तस्वीर जरूर बदली है, लेकिन शहर की कॉलोनियों में अपना घर बनाना अब भी कई लोगो के लिए केवल एक सपना ही है। इसकी वजह जमीन की आसमान छूती कीमत है। हाउसिंग बोर्ड के कम लागत के प्रोजेक्ट बेहद जरूरी है
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