एक साधारण परिवार की महिला समाज सेवा के क्षेत्र में असाधारण कार्य कर रही है। इस महिला की कहानी प्रकाशित करने के भी इस अखबार का उद्देश्य है कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिले और वह भी अपने घर से निकले और इसी तरह से समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य करें।
टीना नावरे की कहानी हर महिला के लिए अत्यंत प्रेरणादाई है क्योंकि वे किसी संपन्न परिवार से न होकर एक सामान्य से क्षत्रिय खटीक परिवार की बहू हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में काम करने के लिए धन की आवश्यकता होती है और चूंकि वह घर से संपन्न नहीं है, इसलिए वह सिलाई कढ़ाई का काम करती हैं और उससे जो आए होती है, उसी राशि का इस्तेमाल समाज सेवा के लिए करती है।
12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने वाली टीना का समाज सेवा का अंदाज भी बिल्कुल अलग है। एक और भी अधिक से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के काम सिखाकर अपने पैरों पर खड़े होते देखना चाहती हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी कोशिश रहती है कि हर त्योहार को वह गरीब बच्चों और परिवारों के बीच में मनाए।
रक्षाबंधन पर वे राखियां और मिठाई लेकर लक्ष्मीबाई नगर मंडी, छोटा बांगड़दा रोड पर पहुंचते हैं और वहां बच्चों में मिठाई बांट कर उन्हें आपस में राखी बंधवाती हैं। बात अगर संक्रांति के त्योहार की की जाए तो वो हर संक्रांति को उसी लक्ष्मीबाई नगर मंडी क्षेत्र में पहुंचती हैं और वहां पर बच्चों को पहले संक्रांति के लड्डू बांटती हैं और फिर उन्हें पतंगे भी देती हैं, जिससे वे भी अन्य बच्चों की तरह पतंग उड़ा सके और त्यौहार को अधिक से अधिक उत्साह से मना सकें।
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