अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दलित / आदिवासी कुलपति और कुल सचिव की नियुक्ति की मांग जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) महू ने यह माँग की है कि -
1. महू तीनों सेनाओं (आर्मी) का प्रशिक्षण क्षेत्र, इंदौर व्यापारिक राजधानी के साथ शिक्षा का हब एवं पीथमपुर विविख्यात उद्योगिक नगरी तथा अनुसचित जनजाति (आदिवासी) बाहूल्य ग्रामीण क्षेत्र में बसा हुआ है।
2. डॉ. बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू जिला इन्दौर (म. प्र.) की स्थापना न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुता और धर्मनिरपेक्षता जैसे समतावादी सामाजिक आदर्शों के मूल्यों के आधार पर भारत के संविधान में विचार कर की गयी है।
3. यह विश्वविद्यालय डॉ. भीम राव अम्बेडकर के विचारों, आदर्शों, विचारों दर्शन एवं जनादेश के मार्गदर्शन पर आधारित होकर अनुसूचित जाति-जनजाति एवं गरीब समुदाय के विकास के लिए काम करना है, इसमें न्यायोचित, समानता बंधुत्वपूर्ण एवं गुणात्मक शिक्षा शामिल है।
4.विद्यार्थियों का अनुसंधान, शिक्षण, प्रशिक्षण, संवेदनशीलता और विस्तार कार्यक्रमों के माध्यम से ज्ञान सृजन करते हुए उनका व्यक्तित्व विकास किया
जाना चाहिए किन्तु यहाँ विद्यार्थियों को इन सब से वंचित रखा जा रहा है।विशेष रूप से वंचित और सामाजिक रूप से भेदभाव आदि।
5. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एवं गरीब समुदाय के विद्यार्थियों की उपेक्षा की जाती हैं और कुलपति एवं कुल सचिव का कार्य भेद भाव पूर्ण रहता है, जिससे विद्याथियों का विश्वविद्यालय में प्रवेश के प्रति रूझान कम रहता है।
6. यह विश्वविद्यालय अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। यहाँ के कुलपति और कुलसचिव द्वारा लगातार विश्वविद्यालय के मूल उद्देश्यों के विपरीत कार्य किये जा रहे है।
7. विश्वविद्यालय में डॉ. भीम राव अंबेडकर पीठ, टंट्या मामा भील पीठ, सत शिरोमणि रविदास पीठ, बिरसा मुड़ पीठ, श्री सावित्री भाई फुले पीठ आदि पीठ पर कुलपति एवं कुल सचिव द्वारा भेद भाव तरीके से कार्य बंद कर दिया गया है।
8. विश्वविद्यालय में रामायण कथा और सरस्वती तथा काल्पनिक भगवानों कीवंदना कराई जा रही है.
9. अभी तक अंबेडकर पीठ सहित दलित, आदिवासी महापुरुषों पर एक भी शैक्षणिक गतिविधि कई सालों से कुलपति और कुलसचिव द्वारा नहीं कराई जा रही है।
10. विश्वविद्यालय में आये दिन राजनीतिक कार्यक्रम होते हैं, जिसमें विद्यार्थियों को अनावश्यक दबाव बनाकर भीड़ के रूप में बिठाया जाता है। इससे विद्यार्थियों की पढाई बुरी तरह प्रभावित होती है।
11. राजनीतिक कार्यक्रमों से बहारी तत्वों का अनावश्यक आये दिन दबाव बना रहता है, जिससे विद्यार्थी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
12. इस तरह विश्वविद्यालय मूल उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के विपरीत कार्य करते हुए महापुरुषों की समाज कल्याण की विचारधारा की उपेक्षा की जा रही है।
13. विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के बजाय राजनीतिक एवं धार्मिकमय
कर रहे है। जिससे विश्वविद्यालय के मूल सिद्धांतों के विपरीत यहां पर कार्य
क कटारे
किये जा रहें है और दलित बच्चों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
अतः विश्वविद्यालय के स्थापना के मूल उद्देश्यों के संरक्षण, गरीब विद्यार्थियों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं राजनीतिकरण व बाहरी तत्वों के हस्तक्षेप से बचाने के लिए जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) महू यह माँग | करता है कि विश्वविद्यालय में दलित / आदिवासी कुलपति और कुल सचिव की नियुक्ति की जाये जिससे डॉ. भीम राव अंबेडकर जी एवं अन्य महापुरुषों का सपना साकार हो सकेगा। अन्यथा महोदय दलित / आदिवासी समाज द्वारा सम्पर्ण मध्यप्रदेश में आंदोलन किया जायेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी मध्यप्रदेश शासन की रहेगी।धन्यवाद
भवदीय
"जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) महू जिला इन्दौर (म.प्र.)
महू जयस अध्यक्ष भीमसिंह गिरवाल
उपाध्यक्ष शेरू परमार
सहायक कोषाध्यक्ष अशोक कटारे
मीडिया प्रभारी श्रवण भाबर
सह मीडिया प्रभारी राहुल कटारे गोकुल भाई गिरवाल सदस्य
शिव भाई परमार सदस्य
सतपाल भाई निनामा जी सदस्य देवानंद बडोले सदस्य
समंदर परमार सदस्य
राकेश परमार जी सदस्य
अजय सिंगारे सदस्य
अर्जुन सिंगारे जी सदस्य
रतन परमार सदस्य
रामदास सिंगारे सदस्य
किशन गिरवाल सदस्य
अनोखी लाल गिनावा सदस्य
शांतिलाल भाई परमार सदस्य
एवं समस्त जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन महू के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया
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