इंदौर। कोरोना वायरस के दौरान फैली महामारी में सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने मरीजों की दिन-रात सेवा कर उनकी जान बचाई और उस समय बीसीबीआर की एग्जाम नहीं दे पाए ।अब उन्हें सीनियर रेजिडेंट पद पर नियुक्त किया जाना था तब निजी मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने उनके हाथों से बाजी छीन ली। सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए अच्छी रैंक प्राप्त कर एडमिशन लेने वाले मेडिकल कॉलेज के छात्र अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। बी.सी.बी. आर. एग्जाम देने के बाद भी कई निजी मेडिकल कॉलेज के एमडी -एमएस डिग्री का रिजल्ट घोषित नहीं किया हैं उसके कारण उनका भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है। नेशनल मेडिकल काउंसिल दिल्ली एवं मध्य प्रदेश जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने यह कहकर एमडी- एमएस डिग्री के मेडिकल कॉलेज के छात्रों का रिजल्ट रोक दिया कि जिन्होंने बेसिक कोर्स बायोमेडिकल रिसर्च (बी.सी.बी.आर.) परीक्षा पास नहीं की है, उनका एमडी- एमएस डिग्री कोर्स का रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा । इस फरमान ने प्रदेश के सैकड़ों मेडिकल कॉलेज के छात्रों के सामने समस्या खड़ी कर दी है। जब मार्च में यहां एग्जाम दी जानी थी तब इसे अनिवार्य नहीं बताया गया था। साथ ही एमडी- एमएस एक्जाम के फॉर्म भरने के समय भी बी.सी.बी.आर. एग्जाम के पास होने का सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से नहीं मांगा गया। अब इसे अनिवार्य बताकर रिजल्ट रोक दिया गया है. बताया तो यहां तक जा रहा है कि प्रदेश के 3 निजी मेडिकल कॉलेज जिसमें इंडेक्स मेडिकल इंदौर, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल और एल.एन. एम. सी. कॉलेज, भोपाल के कुछ मेडिकल छात्रों का बी.सी.बी. आर .का रिजल्ट घोषित नहीं किया गया है। उसके बावजूद उनका एमडी-एमएस डिग्री पास होने का रिजल्ट घोषित किया जा चुका है। जबकि प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल में सीनियर रेजिडेंट के पद पर नियुक्ति शुरू हो गई है, जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्र भी शामिल हुए लेकिन इंटरव्यू मैं शामिल नहीं किया गया , कि आपने बीसीबीआर एग्जाम क्लियर नहीं की है। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर में सीनियर रेसिडेंट के पद पर नियुक्ति के लिए 21 जुलाई को एमजीएम मेडिकल कॉलेज सीनियर रेजिडेंट पद के लिए स्कूटनी की गई जिसमें सरकारी और प्राइवेट कॉलेज के मेडिकल छात्र शामिल हुए लेकिन इंटरव्यू के दौरान सरकारी मेडिकल कॉलेज छात्रों को यह कहकर सीनियर रेजिडेंट पद पर नियुक्त नहीं किया गया कि उनका एमडी-एमएस का रिजल्ट नहीं आया है। इंदौर के अलावा भोपाल ,ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा के अलावा अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज में अगले सप्ताह सीनियर रेजिडेंट पद पर इन मेडिकल स्टूडेंट को नियुक्त किया जाना है ।लेकिन एमडी-एमएस डिग्री कोर्स का रिजल्ट घोषित नहीं होने के कारण सरकारी मेडिकल कॉलेज के कई छात्र इससे वंचित हो सकते हैं। सीनियर स्टूडेंट के पद पर 1 साल की नियुक्ति की जाती है जिसके तहत डॉक्टर को प्रतिमाह ₹75000 का वेतनमान मिलता है । यह भी उल्लेखनीय है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्र अथक प्रयास से उच्च रैंक प्राप्त करते हैं और दिन रात एक कर मेहनत कर अपने आप को काबिल डॉक्टर बनाते हैं। नेशनल मेडिकल काउंसिल दिल्ली एवं जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी (एम.पी. एम.एम. एस. यू) के इस फरमान से आहत मेडिकल छात्रों का कहना है कि प्रदेश में सीनियर रेजिडेंट के पद के लिए वैकेंसी अभी ना निकालकर सभी के एम डी एम एस रिजल्ट घोषित होने के बाद जारी किए जाएं। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और उन्होंने अपना विरोध दिल्ली तक पहुंचा दिया है।
सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रों से छलावा, बीसीबीआर एग्जाम के कारण नहीं बन पाए सीनियर रेजिडेंट , दिल्ली तक हुई है शिकायत
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