रसोईघर शब्द बोलने से रस टपकता है और किचन शब्द बोलने से किच किच होती है-- प्रियलक्षणा श्री जी म.सा

 यशवंत जैन 

शब्दों की अपनी गरिमा होती है शब्द सिर कटा भी सकता है  शब्द सिर झुका  भी सकता है



महिदपुर रोड जैन स्थानक भवन में परम पूज्य आचार्य प्रवर श्री 1008 श्री रामलाल जी म.सा आज्ञानुवर् महासती प्रिय लक्षणा श्री जी म,सा ने सोमवार को धर्म सभा मे जिनवाणी का श्रवण कराते हुए कहा कि जीवन में ज्यादा बोलना हितकारी नहीं है तोल मोल  के बोलना चाहिए। पुराने समय में भोजन कक्ष को रसोई शब्द से संबोधित करते थे। जिसका अर्थ रस होता है लेकिन आज के युग में किचन शब्द बोलते हैं जिसका अर्थ होता है कि किच किच क्योंकि जीवन में शब्दों का अपना बहुत बड़ा महत्व होता है हम आर्य संस्कृति को खोते जा रहे हैं एवं पश्चात संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं जो हमें विनाश और पतन की ओर ले जाती है पूज्य साध्वी जी ने मधुर स्तवन उम्र छोटी सी मिली थी मगर वह भी घटने लगी देखते देखते के माध्यम से उपस्थित जनसभा को जीवन की हकीकत से रूबरू कराया पूज्य महाराज साहब के नियमित प्रवचन जैन स्थानक भवन में सुबह 9:15 से 10:15 तक नियमित चल रहे है। जैन श्री संघ के राजेश कांठेड़ ने सभी महानुभाव से अनुरोध किया है कि आप सभी अधिक से अधिक संख्या में पधार कर पुण्य लाभ धर्म लाभ लेवे उक्त जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी सचिन भंडारी ने दी

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