पावन चिंतन धारा चेरिटेबल ट्रस्ट के ऋषिकुलशाला प्रकल्प के पांच वर्ष पूर्ण होने पर हुआ कार्यक्रम

ऋषिकुलशाला प्रकल्प इंदौर से श्वेता जी माहेश्वरी ने बताया दिनांक 7 सितंबर को पावन चिंतन धारा चेरिटेबल ट्रस्ट के ऋषिकुलशाला प्रकल्प ने अपने विस्तार के 5 वर्ष पूर्ण किए  है।

ऋषिकुलशाला प्रकल्प के संस्थापक  डॉ. पवन सिन्हा 'गुरुजी' का मानना है कि "बच्चे राष्ट्र की संपत्ति हैं और उनके जीवन और बचपन को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है"। वंचितों को खाना खिलाना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है व्यक्ति को सशक्त बनाना ताकि वे सम्मान के साथ अपना भोजन अर्जित कर सकें और साथ ही जागरूक और स्वस्थ भी बन सकें ताकि देश और समाज के लिए भी अपना योगदान दे सकें। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है 'शिक्षा'। 

 ऋषिकुलशाला प्रकल्प एक अनौपचारिक शिक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सक्षम बनाना है। देश के दस राज्यों के 15 शहरों में ऋषिकुलशाला के 25 केंद्र संचालित हैं जिसमें लगभग 2000  बच्चे अनौपचारिक माध्य्म्म से 150 विवेक टोली सदस्यों के माध्य्म्म से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इंदौर शहर में पिपलिहाना एवं मंगल मूर्ति नगर में केंद्र है! 

ऋषिकुलशाला द्वारा बच्चों में कौशल विकसित कर उन्हें अपने अपने पैरों पर खड़ा कर एक सम्मानजनक जीवन देने का भी कार्य भी किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत बच्चे गंधर्व महाविद्यालय दिल्ली, पॉलीटेक्निक संस्थान में शिक्षा,  HCL कंपनी में ट्रेनिग प्राप्त कर रहे हैं।

वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में प्रकल्प श्री  गुरुजी ऑनलाइन मध्यमम से जुड़े 25 केन्द्रों के बच्चों  मास्टर ट्रेनर्स व विवेक टोली सदस्यों से बातचीत की और पुनः ऋषिकुलशाला के उद्देश्यों के बारे में बताया। उन्होंने देशसेवा के लिए बच्चों को तैयार करने, उन्हें लीडर की भूमिका में लाने के उनके कार्य के लिए उनकी प्रशंशा कर उन्हें प्रोत्साहित किया। ऋषिकुलशाला के झोटवाड़ा स्थित, जयपुर केंद्र में भी यह लाइव कार्यक्रम बच्चों ने सुना। इस अवसर पर ऋषिकुल शाला इंदौर के बच्चों  ने रंगारंग कार्यक्रम किए !

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