महापौर पुष्यमित्र भार्गव के प्रयास से हो पाया इतने लंबे समय से लंबित पड़े मामला हल
इंदौर में एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो न्याय की प्रतीक्षा, संघर्ष, और अंततः उम्मीदों के पूरे होने का प्रतीक बन गई। यह कहानी है श्याम तिवारी की, जिन्होंने करीब दो दशक पहले माणिकबाग ब्रिज और सड़क निर्माण के लिए अपनी जमीन सरकार को समर्पित कर दी थी। लेकिन इसके बदले उन्हें केवल वादे और आश्वासन ही मिले। समय के साथ, उनके संघर्ष ने उन्हें थका दिया, और उम्मीदों का आकाश धुंधला पड़ने लगा।
श्याम तिवारी के जीवन में यह मोड़ तब आया जब इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उनके मामले में हस्तक्षेप किया। एक फोन कॉल ने उनकी वर्षों की बेचैनी और दर्द को सुलझाने की दिशा दी। महापौर ने उन्हें नगर निगम मुख्यालय बुलाया और 60 लाख रुपये का चेक सौंपा।
चेक को हाथ में लेते ही श्याम तिवारी की आंखें भर आईं। यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं थी, बल्कि उनके लंबे संघर्ष और धैर्य की जीत थी। भावुक तिवारी ने महापौर को अपनी दुआएं देते हुए कहा, "आज मेरे विश्वास को फिर से एक नई ताकत मिली है।"
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