शेखर बुंदेला एडवोकेट लोकतंत्र सेनानी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वयंसेवकों को गढने की जो परिकल्पना की थी कृष्ण कुमार जी अस्थाना ने संघ का स्वयंसेवक बनकर उसे परिकल्पना को मूर्त रूप दिया था।
अपना संपूर्ण जीवन संघ की परिकल्पना के अनुरूप गुजारने वाले अस्थाना जी ने अपनी बाल्यावस्था से अपना संपूर्ण जीवन संघ की अवधारणा के अनुरूप तैयार किया तथा एक शिक्षक के रूप में एक पत्रकार के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वे जीवन पर्यंत संघ संस्कार के प्रचार प्रसार में लग रहे।
आपातकाल के दौरान इंदौर जेल में माननीय अस्थाना जी के साथ जीवन गुजारने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। जेल जीवन के दौरान जिन व्यक्तित्वो ने प्रभावित किया, कृष्ण कुमार की आस्थान उनमें से एक थे।
अनुशासित जीवन गहरी निष्ठा एवं समर्पण तथा अपनी प्रतिभा का सामाजिक एवं देशहित में उपयोग करने की उनकी मंशा हमेशा प्रभावित करती थी।
दैनिक स्वदेश के प्रधान संपादक, देवपुत्र के प्रधान संपादक तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघ चालक के रूप में उनकी पहचान संपूर्ण समाज में रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परिकल्पना के अनुरूप संपूर्ण जीवन गुजारने वाले प्रेरणा के स्रोत आदरणीय अस्थाना जी को शत-शत नमन।
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